Shikha Arora

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लेखनी प्रतियोगिता -11-Sep-2022 - पिता का समर्पण

पिता का समर्पण

पिता के समर्पण से बनती जिंदगी,
बच्चों कर लो मात-पिता की बंदगी।
जवानी बच्चों पर न्यौछावर कर दे,
पिता सारे घर को पावन कर दे।
ईश्वर का रूप भी पिता में रहता,
हर बच्चा सदा यही है कहता।
कठोर परिश्रम जब वह करते,
भाग्य बच्चों का वह बुनते हैं।
प्यार अपना दिखा नहीं पाते,
परिवार के लिए रोटी जुटाते।
पूरा ब्रह्मांड समा जाए पिता में,
सुरक्षा की ढाल बनाई पिता ने।
जीवन को नई दिशा देता वो है,
खुशियों का त्याग करता वो है।
पिता सुख-दुख अपना भूले,
बच्चों के लिए लगाते झूले।
दिल अपना मजबूत वह दिखाते,
आंखों में आंसूओं को छुपाते।
बच्चे कर जाएं जग में अपना नाम,
पिता दिन रात उनके लिए करता काम।
समर्पण पिता का दिखता कहां है?
चैन से वो आखिर रूकता कहां हैं?
हिम्मत का औजार पिता से मिलता,
बच्चा जिंदगी आगे ही आगे बढ़ता।
जिम्मेदारी पिता की देखो कितनी भारी, 
उनसे ही प्रकाशमय होती दुनिया हमारी।।


#दैनिक प्रतियोगिता हेतु
शिखा अरोरा (दिल्ली)




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13 Comments

Seema Priyadarshini sahay

13-Sep-2022 03:00 PM

बहुत ही खूबसूरत

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Palak chopra

12-Sep-2022 09:14 PM

Bahut khoob 🙏🌺

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Achha likha hai 💐

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